साभार:-सोलंकी आदित्यजी वैभव ।
सभी ने देखा सभी ने सुना सोलंकियों के बारे में ।
इन्हें ही चालुक्य,चौलुक्य,चालुक,सोलंकी,सिलोंकी,मिलोंकी,चिलोंकी इत्यादि कहा जाता है ।
इनकी उत्त्पति की दो मत प्रचलित है :-
१. ब्रह्मा के चुलुक से
२. अनलकुण्ड से
क्या आप इससे सहमत हैं??
अगर इनकी उत्पत्ति अनलकुण्ड (अग्निकुंड) से हुई तो ये अग्निवंशी हुए व चारों के साथ सम्मलित हुए ।
दूसरे मत पर आए तो ये सबसे अलग चालुक्यवंशी हुए जो अकेले इस वंश से हैं ।
राजपूतों का इतिहास हमें लोकगाथाओं से ही मिलता आ रहा है ।
ठीक इसी तरह हमारे यहाँ भी मत प्रचलित हैं ।
चालुक्यवंशी/अग्निवंशी भारद्वाज गोत्र के होते हैं ।
चालुक्य व अग्नि के अलावा सोलंकी चंद्रवंश से ही हैं ।
अब आते हैं मत पर
हमारे पास तीन वंश के मत हैं यानी तीन उत्पति के स्रोत लेकिन इनसे वंश तो एक ही होगा कोई एक व्यक्ति ।
इसका सीधा उदाहरण ये है ।
प्राचीन से ही सोलंकी चन्द्रवंशी रहे हैं ।
पर बौद्ध धर्म के कारण लगभग सारे के सारे सोलंकी या तो बौद्ध हो गए या जैन हो गए ।
कान्य कुब्ज के द्वारा जैन से वापस परिवर्तित किये गए सोलंकी ही अग्निवंशी हैं ।
लेकिन इनसे भी कुछ न हो पाया व
बौद्ध व राक्षसों के बढ़ते अत्याचारों के कारण ब्राह्मणों व ऋषि मुनियों के अनुरोध पर ब्रह्माजी ने हथेली से सोलंकी को परिवर्तित कर चालुक्यदेव का निर्माण किया ।
ये थे सोलंकियों के तीन उत्त्पति रहस्य जो मुझे अपने पूर्वजों से ज्ञात हुआ । तो अब विषय आता है कि इन्हें पहचाने कैसे??
भारद्वाज गोत्र या तो अग्निवंशी कहलाये या चलुक्यवंशी सोलंकी। तो पराशर गोत्र वाले चन्द्रवंशी सोलंकी ।
चन्द्रवंशी सोलंकी की शाखागोत्र इत्यादि ।
वंश :- चन्द्रवंश ।
उत्पत्ति:- अर्जुन (उदयन)
कुलदेवी- महामाया माताजी
गोत्रदेवी:- शारदा माताजी
इष्टदेवी:- बहुचराजी माता
क्षत्रदेवी:- खिंमज माताजी
कुलदेव:- रुद्र महादेव
इष्टदेव:- विष्णुजी
भेरू:- काला एवं गोरा भेरूजी
शाखा:- राजकुमारोत
पितृदेव:- बोधेबाबा
सभी ने देखा सभी ने सुना सोलंकियों के बारे में ।
इन्हें ही चालुक्य,चौलुक्य,चालुक,सोलंकी,सिलोंकी,मिलोंकी,चिलोंकी इत्यादि कहा जाता है ।
इनकी उत्त्पति की दो मत प्रचलित है :-
१. ब्रह्मा के चुलुक से
२. अनलकुण्ड से
क्या आप इससे सहमत हैं??
अगर इनकी उत्पत्ति अनलकुण्ड (अग्निकुंड) से हुई तो ये अग्निवंशी हुए व चारों के साथ सम्मलित हुए ।
दूसरे मत पर आए तो ये सबसे अलग चालुक्यवंशी हुए जो अकेले इस वंश से हैं ।
राजपूतों का इतिहास हमें लोकगाथाओं से ही मिलता आ रहा है ।
ठीक इसी तरह हमारे यहाँ भी मत प्रचलित हैं ।
चालुक्यवंशी/अग्निवंशी भारद्वाज गोत्र के होते हैं ।
चालुक्य व अग्नि के अलावा सोलंकी चंद्रवंश से ही हैं ।
अब आते हैं मत पर
हमारे पास तीन वंश के मत हैं यानी तीन उत्पति के स्रोत लेकिन इनसे वंश तो एक ही होगा कोई एक व्यक्ति ।
इसका सीधा उदाहरण ये है ।
प्राचीन से ही सोलंकी चन्द्रवंशी रहे हैं ।
पर बौद्ध धर्म के कारण लगभग सारे के सारे सोलंकी या तो बौद्ध हो गए या जैन हो गए ।
कान्य कुब्ज के द्वारा जैन से वापस परिवर्तित किये गए सोलंकी ही अग्निवंशी हैं ।
लेकिन इनसे भी कुछ न हो पाया व
बौद्ध व राक्षसों के बढ़ते अत्याचारों के कारण ब्राह्मणों व ऋषि मुनियों के अनुरोध पर ब्रह्माजी ने हथेली से सोलंकी को परिवर्तित कर चालुक्यदेव का निर्माण किया ।
ये थे सोलंकियों के तीन उत्त्पति रहस्य जो मुझे अपने पूर्वजों से ज्ञात हुआ । तो अब विषय आता है कि इन्हें पहचाने कैसे??
भारद्वाज गोत्र या तो अग्निवंशी कहलाये या चलुक्यवंशी सोलंकी। तो पराशर गोत्र वाले चन्द्रवंशी सोलंकी ।
चन्द्रवंशी सोलंकी की शाखागोत्र इत्यादि ।
वंश :- चन्द्रवंश ।
उत्पत्ति:- अर्जुन (उदयन)
कुलदेवी- महामाया माताजी
गोत्रदेवी:- शारदा माताजी
इष्टदेवी:- बहुचराजी माता
क्षत्रदेवी:- खिंमज माताजी
कुलदेव:- रुद्र महादेव
इष्टदेव:- विष्णुजी
भेरू:- काला एवं गोरा भेरूजी
शाखा:- राजकुमारोत
पितृदेव:- बोधेबाबा
माफ करना आप गलत बता रहे है सोलंकी कभी चन्द्रवंशी नही थे
ReplyDeleteहमे प्रमाण सहित बताए
Deleteऔर ना ही अगनिवंशी थे
ReplyDeleteचालुक्य तो खुद अग्नि से पैदा नहीं हूऐ बल्की ब्रहमाजी के गंगा के चलूँ से उत्पति हूई और सोरमघाट पर हूई है ज्यादा जानकारी ऑनलाइन साजा नही की जा सकतीं है।
ReplyDeleteThanks Hukam,
ReplyDeleteSadar aabhar for sharing this
Hamare Yahan Sare Solanki Rajputs Sandilya Gotra ke hai... aisa kyun ?
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