Monday, 25 March 2019

राजपूत सोलंकी राजवंश शाखागोत्र

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 क्षत्रिय सोलंकी राजवंश शाखागोत्र

उत्पत्ति : प्राचीन चन्द्रवंश से/ब्रह्मा के चुलुक से
वंश : चालुक्यवंशी/अग्निवंश(प्राचीन चन्द्रवंश)
मूलपुरुष : सोंणक देव
गोत्र : भारद्वाज
गोत्रदेवी : ब्राह्मणी भवानी
शाखा : मार्दनिक
वेद : यजुर्वेद
उपवेद : धनुर्वेद
सूत्र : पारस्कर
कुलदेवी : खिंमज माताजी
इष्टदेवी : बहुचराजी माता
वृक्ष : खाखरो
कुलदेवता : विष्णुजी
इष्टदेव : सोमनाथ महादेव
साह : हर हर महादेव
तिलक : त्रिपुंड
उपाधि : महेश एवं ठाकुर
नगारा : रणजीत
डंका : कदम
भैरव : गोरा भेरू
अश्व : जर्द
वस्त्र : सफेद व भगवा
निशान : पंचरंगा
नदी : सरस्वती
ध्वजा : लाल(मुर्गा सहित)
ध्वजचिन्ह : मुर्गा
हथियार : तलवार,भाला,कटार
क्षेत्र : गुजरात व राजपुताना
गादी : समग्र भारतवर्ष
चारण : टापरिया
ढोल : बहल
हवनकुण्ड : अग्निकुंड
भस्म : रुद्राक्ष
गादी मुख : पूर्व दिशा
साम्राज्य : पूरा भारत (प्राचीन काल का भारत)

शाखा : सोलह+
 रावका,बालनोत,वाघेल,डेला,भुट्टा,नाथावत,वीरपुरा,खोदेरा,खेरादा,भरसुनडा,मलरा,सोलके,भोजवत,लंघा,क्लाचा,डहर,चहर,महिदा,राज इत्यादि

5 comments:

  1. राणा जी, बहल सोलंकी राजपुत की शाखा के बारे मै बताइए आप इतिहास के अच्छे जानकर है ,,, जय माता जी

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  2. जय माताजी री हुक्म ।आपको बहुत बहुत धन्यवाद हुक्म।

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  3. Solanki vansh mai kya kya chez shrapit hai

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